श्रद्धांजलि/एकता दिवस: लौह पुरुष सरदार पटेल का 148वां जन्मदिन, जानें सरदार के जीवन की प्रभावशाली कहानियां

31 अक्टूबर: लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मदिवस

भारत को समृद्ध बनाने में निभाई लौह जैसी भूमिका

भारत के पहले गृह मंत्री और लौह पुरुष के रूप में पहचाने जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मदिन 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। सरदार पटेल का अहमदाबाद के साथ एक गहरा संबंध था, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। इस महत्वपूर्ण दिन पर, आइए हम सरदार पटेल के अहमदाबाद के साथ संबंधों, वहां किए गए विकास कार्यों और अहमदाबाद नगरपालिका चुनावों से शुरू हुई उनकी राजनीतिक यात्रा के बारे में जानें।

31 अक्टूबर, 1875: जन्म

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। इस विशेष दिन पर, उनके अहमदाबाद के साथ संबंधों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनकी कर्मभूमि अहमदाबाद रही है। सरदार पटेल ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भी अहमदाबाद से ही की थी। आजादी की लड़ाई में, उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बोरसद सत्याग्रह और बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

राजनीतिक यात्रा

सरदार पटेल की अहमदाबाद से जुड़ी राजनीतिक यात्रा की बात करें, तो 5 जनवरी 1917 को उन्होंने पहली बार अहमदाबाद नगर निगम की उप-चुनाव में दरियापुर वार्ड से चुनाव लड़ा और 1 मत से रोमांचक जीत हासिल की। हालांकि, बाद में अदालत ने इस चुनाव को रद्द कर दिया था। फिर भी, 14 मई 1917 से 31 मार्च 1919 तक वे निर्विरोध चुने गए थे। इसके बाद, 1924 में वे फिर से कांग्रेस से दरियापुर वार्ड का चुनाव जीतकर अहमदाबाद नगर निगम के मेयर बने। उन्होंने 1924 से 1927 तक अहमदाबाद का नेतृत्व किया और इस दौरान शहर को नया रंग-रूप दिया।

अहमदाबाद में विकास कार्य

मेयर के रूप में सरदार पटेल ने अहमदाबाद में कई महत्वपूर्ण विकास कार्य किए। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए वी.एस. अस्पताल, अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम और शहर के बाहरी क्षेत्रों में विकास कार्यों को प्राथमिकता दी। उनके नेतृत्व में, अहमदाबाद ने एक नई पहचान प्राप्त की।

भारत की एकता में भूमिका

सरदार वल्लभभाई पटेल ने अहमदाबाद को नई पहचान देने के अलावा, भारत की आजादी और विभाजन के बाद देश को एकजुट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने रियासतों को भारत में विलय कराने का कार्य किया और देश को एकजुट किया।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिय और महत्वपूर्ण परियोजना स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का 31 अक्टूबर 2018 को अनावरण किया गया था, जो सरदार पटेल को समर्पित है। यह प्रतिमा उनके महान योगदान का प्रतीक है और उनकी विरासत को जीवित रखे हुए है।

निष्कर्ष

सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन दिसंबर 1950 में मुंबई में हुआ था। गुजरात ने एक महान योद्धा को खो दिया था। ऐसे महापुरुषों के कारण ही आज गुजरात का जयजयकार हो रहा है। उनका योगदान हमारे देश के लिए अनमोल है और उनकी प्रेरणा हमें हमेशा मार्गदर्शन देती रहेगी।

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