बेटी को बहार जाना था तो पिता ने हा कहा, लेकिन देर रात को जब पुलिस का फ़ोन आया तो उन्होंने कहा…..Last Part

Family Trust Issues | How to Rebuild Trust

रमेश साहेब जब स्टेशन से लौटे, तो वे चुप थे। मीनाक्षी भी स्नेहा की इस हरकत के बारे में सुनकर टूट चुकी थी। वे समझ नहीं पा रहे थे कि उन्होंने अपनी बेटी को इतने अच्छे संस्कार दिए थे, फिर भी उसने इतनी बड़ी गलती कैसे की? घर पहुँचने पर स्नेहा का सामना उसकी मम्मी से हुआ, जिन्होंने उसे देखा और रोने लगीं। स्नेहा ने माफी मांगी, लेकिन वह जानती थी कि कुछ गलतियाँ ऐसी होती हैं, जिनके लिए माफी मिलना आसान नहीं होता।

यह घटना वर्मा परिवार के लिए एक कड़वा सबक थी। विश्वास का महत्व समझाने वाले माता-पिता भी कभी-कभी इस कठिन अनुभव से गुजरते हैं। यह किस्सा हमें सिखाता है कि माता-पिता का प्रेम और उनकी सलाह हमारे जीवन में अमूल्य होती है। वे चाहे कभी कठोर लगें, लेकिन उनका हर निर्णय हमें सुरक्षित और सही रास्ते पर रखने के लिए होता है। हमें कभी भी उनके भरोसे को तोड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि एक बार खोया हुआ विश्वास वापस पाना सबसे मुश्किल होता है।


अगर यह कहानी आपको पसंद आई हो, तो इसे ज़रूर शेयर करें और नीचे कमेंट में अपनी रेटिंग दें।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *