गर्भवती महिला रक्षाबंधन मनाने अकेली ट्रैन में जाने वाली थी। अचानक देर रत को स्टेशन पर ट्रैन आई , लेकिन कुली दिखा नहीं, कुछ देर बाद…..
श्रीनल 26 वर्षीय विवाहित महिला थी। उसकी शादी को तीन साल हो चुके थे और अब वह गर्भवती थी। उसके पेट में छह महीने का बच्चा था। वह अपने पति के साथ अहमदाबाद के पास एक छोटे से गांव में रहती थी। उसके पति को व्यवसाय के सिलसिले में दिल्ली जाना पड़ा, इसलिए उसने रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए अकेले अपने मायके इंदौर जाने का फैसला किया।
रात का समय था और श्रीनल ने गांव के छोटे से रेलवे स्टेशन पर कदम रखा। घड़ी की सुई रात के 12 बजे का संकेत दे रही थी। स्टेशन पर सन्नाटा पसरा हुआ था। चारों ओर भयानक मौन था और कोई भी यात्री दिखाई नहीं दे रहा था। स्टेशन पर बस एक हल्की रोशनी थी, जो प्लेटफॉर्म के एक कोने में टिमटिमा रही थी।
Train Delay Status | Safe Travel Tips
तभी एक कुली उसकी ओर आया। वह सफेद दाढ़ी और झुर्रियों से भरा हुआ, लगभग 60 वर्ष का वृद्ध व्यक्ति था। उसकी आंखों में थकान थी, फिर भी उसमें एक अजीब सा संतोष था। उसने श्रीनल से पूछा, “बहन, क्या चाहिए?” श्रीनल ने हल्के नर्वस आवाज में कहा, “मेरी ट्रेन 12:30 बजे आने वाली थी, लेकिन अब देर हो गई है और यह 2 बजे आएगी। क्या आप मेरा सामान ट्रेन में चढ़ाने में मदद करेंगे?”
कुली ने सिर हिलाकर सहमति दी और श्रीनल का सामान उठाने के लिए तैयार हो गया। श्रीनल ने राहत की सांस ली। गर्भावस्था के कारण वह बहुत थक चुकी थी और उसे यह सोचकर डर लग रहा था कि उसे इतना सारा सामान अकेले ट्रैन में कैसे चढ़ाना पड़ेगा।