विनम्रता के बिना धन अभिशाप है
योगिक संपत्ति का संबंध शांति और स्थिरता से है, जिसे प्राप्त करने में दशकों लग जाते हैं
संपत्ति के साथ व्यक्ति में नम्रता न आए तो वह संपत्ति शाप रूप हो सकती है। ऐसी संपत्ति अहंकार और अभिमान लाती है और उसका स्वरूप तामसी होता है। अक्सर ऐसी संपत्ति अगली पीढ़ी तक भी नहीं पहुँच पाती। जैसे आम के पेड़ पर अधिक फल लगते हैं तो पेड़ झुक जाता है, वैसे ही संपत्ति बढ़ने पर व्यक्ति को नम्रता से झुक जाना चाहिए।
एक कहावत है कि “पैसा ऊँची आवाज में बोलता है और संपत्ति धीरे-धीरे फुसफुसाती है।” रामकृष्ण मिशन के एक स्वामी ने मुझसे कहा था, “पैसा जब तक आदमी की जेब में रहता है, तब तक कोई समस्या नहीं होती, लेकिन जब वह आदमी के दिमाग में घुस जाता है तो समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।” यह बात सच है, दिमाग में उतरने वाला पैसा उत्पात मचाता है। जिस क्षण हम पैसे को महत्व देने लगते हैं, उसी क्षण से समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं।
‘राइडिंग ए रोलर कोस्टर: लेसन्स फ्रॉम फाइनेंशियल मार्केट साइकल्स वी ऑफ्टन फॉरगेट’ के लेखक अमित त्रिवेदी कहते हैं, “जीवन की तुलना में जीवनशैली को कभी अधिक महत्व न दें।” उनकी बात पूरी तरह सही है। जीवनशैली भौतिकवाद का प्रतीक है, जबकि जीवन मूल्यों, चरित्र और सद्गुणों का प्रतीक है।
एक प्रैक्टिसिंग फाइनेंशियल प्लानर के रूप में मैंने देखा है कि जो लोग जीवन की तुलना में जीवनशैली को अधिक महत्व देते हैं, वे जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं। उनके मन में कभी शांति नहीं होती। वे हमेशा दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा में रहते हैं और उनके व्यवहार में ईर्ष्या, अहंकार, असुरक्षा आदि झलकते हैं। दूसरी ओर, जो लोग जीवनशैली की तुलना में जीवन को अधिक महत्व देते हैं, वे परिपक्व, स्थिर और शांत होते हैं। वे लंबे समय में पवित्रता से संपत्ति का निर्माण करते हैं, और उनकी संपत्ति पीढ़ियों तक चलती है।
एक पुरानी घटना याद आती है। एक प्रसिद्ध दंपत्ति विमान के बिजनेस क्लास में यात्रा कर रहे थे। पति दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध बिजनेस परिवार से थे और वह एक प्रसिद्ध क्रिकेटर भी थे। जब भी कोई व्यक्ति उनसे मिलने आता, तो वे उसे ऑटोग्राफ देते और थोड़ी बातचीत भी कर लेते। उनकी पत्नी दक्षिण भारत की एक फिल्म अभिनेत्री थीं। उन्होंने शुरुआत में बॉलीवुड में कुछ फिल्मों में काम किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में उनकी हिंदी फिल्में भी अच्छी चलीं। ऑटोग्राफ देते समय वह पूरी तरह औपचारिक हो जातीं और नाममात्र की हस्ताक्षर कर देतीं। ऑटोग्राफ लेने वाले से नजरें मिलाने की भी कोशिश नहीं करतीं। पति से लोग आराम से बातचीत करते, लेकिन पत्नी से बात करने का सवाल ही नहीं उठता था।
हो सकता है कि वह यात्रा के दौरान थकी हुई हों, लेकिन इसके कारण उनके बातचीत के अंदाज और हावभाव में तौछड़ापन नहीं आना चाहिए। इसके बारे में अधिक टिप्पणी करना उचित नहीं है। मेरा उद्देश्य यह कहना है कि जीवन में प्रगति करने वाले व्यक्ति को नम्र होना चाहिए। नम्रता व्यक्ति की प्रगति और उसके मनुष्यत्व को दर्शाती है।
योगिक संपत्ति का संबंध शांति और स्थिरता से है। यह शांति प्राप्त करने में दशकों लग जाते हैं, लेकिन एक बार यह स्थिति आ जाती है तो यह पीढ़ियों तक चलती है। हमारे देश में त्योहारों का मौसम है। आइए, हम उन्नति करें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें नम्रता प्रदान करें। स्वभाव में नम्रता आ जाने के बाद कुछ हासिल करने की आवश्यकता नहीं रह जाती। बाकी सभी चीजें भगवान हमें तब देंगे जब उन्हें उचित लगेगा।